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भाखड़ा नांगल बांध: भारत की जलशक्ति का अद्भुत प्रतीक

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां जल संसाधनों का उपयोग सिंचाई, बिजली उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण के लिए किया जाता है। इन्हीं संसाधनों का एक शानदार उदाहरण है — भाखड़ा नांगल बांध, जो केवल एक बांध नहीं बल्कि स्वतंत्र भारत की आत्मनिर्भरता, विज्ञान और तकनीकी उन्नति का प्रतीक भी है। यह बांध न केवल देश की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करता है, बल्कि कृषि और पर्यटन के क्षेत्र में भी इसकी अहम भूमिका है।

भाखड़ा और नांगल: दो बांध, एक शक्ति

भाखड़ा और नांगल वास्तव में दो अलग-अलग बांध हैं, जिन्हें अक्सर एक साथ ‘भाखड़ा नांगल बांध’ कहा जाता है।

  • भाखड़ा बांध हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में सतलुज नदी पर स्थित है।
  • नांगल बांध, भाखड़ा से लगभग 13 किलोमीटर नीचे पंजाब के नांगल क्षेत्र में स्थित है।

इन दोनों बांधों का संयुक्त प्रभाव इतना व्यापक है कि इसे भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने “नई भारत की आधुनिक मंदिर” की संज्ञा दी थी।

गोविंद सागर झील: भंडारण का अद्भुत नमूना

भाखड़ा बांध के पीछे बनी विशाल झील को गोविंद सागर कहा जाता है, जिसका नाम दसवें सिख गुरु गुरु गोविंद सिंह जी के सम्मान में रखा गया है।

  • इसकी लंबाई लगभग 90 किलोमीटर और क्षेत्रफल लगभग 168 वर्ग किलोमीटर है।
  • यह भारत की तीसरी सबसे बड़ी जलाशय है और लगभग 9.43 अरब घन मीटर पानी को संग्रहित करने की क्षमता रखती है।

यह जलाशय न केवल सिंचाई में सहायक है, बल्कि जल-खेल, नौकायन और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में भी अपनी उपयोगिता सिद्ध करता है।

इतिहास: एक सदी पुरानी कल्पना का साकार रूप

भाखड़ा नांगल परियोजना का विचार सबसे पहले 1908 में पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर सर लुइस डेन ने प्रस्तुत किया था। परंतु उस समय यह परियोजना आर्थिक रूप से अत्यधिक खर्चीली मानी गई।
स्वतंत्रता के बाद, 1948 में परियोजना को फिर से सक्रिय रूप से शुरू किया गया और 22 अक्टूबर 1963 को यह पूरी हुई। इसमें लगभग 13,000 मज़दूर और 300 इंजीनियरों ने दिन-रात मेहनत की।

भाखड़ा नांगल बांध का महत्व

1. सिंचाई:

भाखड़ा नांगल बांध उत्तर भारत के कृषि क्षेत्रों के लिए जीवनरेखा है। यह हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश की 10 मिलियन एकड़ से अधिक भूमि की सिंचाई करता है। यह मानसूनी अनियमितताओं से उत्पन्न समस्याओं का समाधान करता है।

2. बिजली उत्पादन:

बांध से बनने वाली बिजली उत्तर भारत के राज्यों — पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, चंडीगढ़ और दिल्ली तक पहुंचती है।

  • भाखड़ा बांध के दोनों ओर कुल 10 टरबाइन जनरेटर लगे हैं।
  • इससे लगभग 1325 मेगावाट विद्युत उत्पादन होता है।

3. बाढ़ नियंत्रण:

यह बांध सतलुज और ब्यास घाटी की बाढ़ को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गोविंद सागर जलाशय अतिरिक्त जल को संचित कर बाढ़ की आशंका को काफी हद तक टालता है।

4. पर्यटन:

इस क्षेत्र में जल क्रीड़ाएं, जंगल सफारी, नैना देवी मंदिर, और गोविंद सागर झील जैसे पर्यटक आकर्षण हैं, जो हर वर्ष हजारों सैलानियों को आकर्षित करते हैं।

5. मत्स्य पालन:

गोविंद सागर झील में वाणिज्यिक मछली पालन की अनुमति है। झील में पाई जाने वाली विभिन्न प्रजातियों की मछलियाँ मत्स्य उद्योग को बढ़ावा देती हैं। इस संबंध में अधिक जानकारी पंजाब मत्स्य विभाग से प्राप्त की जा सकती है।

रोचक तथ्य

  • भाखड़ा बांध 207.26 मीटर ऊँचा है और एशिया का दूसरा सबसे ऊँचा बांध है (पहला है टिहरी बांध)।
  • इसका निर्माण सतलुज नदी पर किया गया है, जो तिब्बत से निकलकर भारत में प्रवेश करती है।
  • भाखड़ा बांध का जलाशय इतना विशाल है कि इसमें चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा के कई हिस्सों को डुबोने जितना पानी आ सकता है।
  • इस बांध में कंक्रीट ग्रेविटी तकनीक का उपयोग हुआ है, जिससे यह और भी मजबूत और टिकाऊ बनता है।

निष्कर्ष

भाखड़ा नांगल बांध केवल एक जल संरचना नहीं, बल्कि स्वतंत्र भारत की तकनीकी और आर्थिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। इसने न केवल देश की ऊर्जा और सिंचाई संबंधी आवश्यकताओं को पूरा किया है, बल्कि भारत को आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर अग्रसर भी किया है। चाहे वह खेती हो, उद्योग हो या पर्यटन — इस बांध का योगदान बहुआयामी और अतुलनीय है। आने वाले वर्षों में इसकी उपयोगिता और भी बढ़ेगी, यदि हम इसे संरक्षित और सुदृढ़ बनाए रखें।

Twinkle Pandey

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