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अनुच्छेद 370 के खिलाफ लोगों का विरोध: एक संक्षिप्त विवेचना

परिचय
जम्मू और कश्मीर भारत के इतिहास और राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच इस क्षेत्र को लेकर विवाद 1947 से चला आ रहा है। यह एकमात्र रियासत थी, जहां हिंदू राजा थे, लेकिन मुस्लिम बहुल जनसंख्या थी। 15 अगस्त 1947 तक जम्मू-कश्मीर ने यह तय नहीं किया था कि वह भारत में शामिल होगा या पाकिस्तान में। लेकिन अक्टूबर 1947 में पाकिस्तानी कबायलियों के आक्रमण के कारण महाराजा हरि सिंह ने भारत में विलय के लिए इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन पर हस्ताक्षर किए।


अनुच्छेद 370 के खिलाफ लोगों का आक्रोश

2016 के बाद से कश्मीर में विरोध प्रदर्शन और हिंसा में वृद्धि हुई। हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी की भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा हत्या के बाद विरोध और तेज़ हो गया। भारतीय प्रशासित कश्मीर और पाक-प्रशासित कश्मीर के बीच नियंत्रण रेखा (Line of Control – LoC) पर अक्सर संघर्ष होते रहे हैं।

फरवरी 2019 में पुलवामा हमले में 40 से अधिक भारतीय जवानों की शहादत ने पूरे देश को झकझोर दिया। इसके बाद से अनुच्छेद 370 के खिलाफ आवाज़ और तेज़ हो गई।

अनुच्छेद 370 को हटाने की मांग क्यों उठी?

  • यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता था, जिससे वहां भारतीय संविधान पूरी तरह लागू नहीं होता था।
  • अन्य राज्यों के नागरिक वहां ज़मीन नहीं खरीद सकते थे।
  • महिलाओं के अधिकारों को सीमित करता था—अगर कोई कश्मीरी महिला किसी बाहरी व्यक्ति से शादी कर लेती, तो उसे राज्य के विशेष अधिकार नहीं मिलते।
  • अलगाववादियों को बढ़ावा देता था और आतंकवाद की जड़ बना हुआ था।
  • जम्मू-कश्मीर में भ्रष्टाचार और विकास की गति को बाधित कर रहा था।

अनुच्छेद 370 की समाप्ति और प्रभाव

1956 में जम्मू-कश्मीर ने अपना अलग संविधान लागू किया, लेकिन यह हमेशा भारत सरकार और राज्य सरकार के बीच संबंधों में बाधा बना रहा। 5 अगस्त 2019 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सरकार ने राष्ट्रपति आदेश के माध्यम से अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय कर दिया

महत्वपूर्ण बदलाव:

  • जम्मू-कश्मीर अब भारतीय संविधान के अंतर्गत पूरी तरह आएगा।
  • राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में विभाजित किया गया।
  • देश के सभी नागरिक अब जम्मू-कश्मीर में ज़मीन खरीद सकते हैं।
  • आतंकवाद पर सख्ती और विकास के नए द्वार खोले गए।

अनुच्छेद 370 की संवैधानिकता और न्यायिक समीक्षा

कई लोगों ने इसे न्यायालय में चुनौती दी, लेकिन केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि यह निर्णय राष्ट्रहित में लिया गया है और संविधान के दायरे में है

महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. राष्ट्रपति को अधिकार:
    • संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत सरकार को किसी भी राज्य के क्षेत्र में बदलाव करने का अधिकार है।
    • संसद की मंजूरी से यह निर्णय पूरी तरह वैध है।
  2. न्यायिक समीक्षा का दायरा:
    • न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सरकार का निर्णय उसकी नीतिगत शक्ति के अंतर्गत आता है
    • यह राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए आवश्यक था।

अनुच्छेद 370 हटाने के बाद बदलाव

1. आर्थिक और व्यापारिक सुधार

  • जम्मू-कश्मीर में नए उद्योगों और व्यवसायों की स्थापना का मार्ग खुला।
  • केंद्र सरकार ने 3700 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी।
  • पर्यटन को बढ़ावा मिला, जिससे स्थानीय लोगों को रोज़गार के अवसर प्राप्त हुए।

2. शिक्षा और रोज़गार के नए अवसर

  • अब जम्मू-कश्मीर में देशभर के छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
  • सरकारी नौकरियों में सभी भारतीय नागरिकों को आवेदन करने का मौका मिला।
  • महिला अधिकारों की रक्षा के लिए नई योजनाएं लागू की गईं

3. आतंकवाद पर प्रभाव

  • अनुच्छेद 370 हटने के बाद सुरक्षा बलों को आतंकवाद पर कड़ा प्रहार करने का अधिकार मिला।
  • कई आतंकवादी संगठनों की आर्थिक सहायता को रोका गया
  • पाकिस्तान की ओर से आतंकवादी घुसपैठ में कमी आई।

4. सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन

  • जम्मू-कश्मीर में अब भारतीय संस्कृति और परंपराओं का अधिक प्रचार-प्रसार हुआ।
  • कई नए सांस्कृतिक और खेल कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।
  • महिलाओं और दलितों को समान अधिकार मिले।

निष्कर्ष

अनुच्छेद 370 का निष्कासन भारत की एकता और अखंडता के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय था। यह जम्मू-कश्मीर को पूरी तरह भारत में शामिल करने की दिशा में सबसे बड़ा कदम था। इससे विकास, सुरक्षा और सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिला।

सरकार का यह कदम सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि राष्ट्रहित में उठाया गया निर्णय था। अनुच्छेद 370 के हटने से जम्मू-कश्मीर के लोगों को अधिक अवसर, अधिकार और स्वतंत्रता प्राप्त हुई। अब यह क्षेत्र विकास की ओर बढ़ रहा है और “नया कश्मीर” बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। 🚀✨

New Delhi, India December 25 2021 : Delhi Contractual Guest Teachers with posters, flags and graffiti’s protesting against Delhi AAP Government for making policy, Delhi Guest Teachers protesting

Twinkle Pandey

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