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क्या योजना आयोग का पुनर्गठन भारत के लिए कारगर होगा?

परिचय

भारत की आर्थिक और सामाजिक नीतियों को आकार देने में योजना आयोग (Planning Commission) का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 1950 में स्थापित यह निकाय देश की पांच वर्षीय योजनाओं का संचालन करता था और आर्थिक विकास के लिए रणनीतियाँ बनाता था। लेकिन समय के साथ, इस संस्था की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे।

2014 में, योजना आयोग को समाप्त कर दिया गया और उसकी जगह नीति आयोग (NITI Aayog) की स्थापना हुई। यह एक थिंक टैंक के रूप में काम करता है, जो नीति निर्माण में राज्यों को अधिक भागीदारी प्रदान करता है। इस लेख में, हम योजना आयोग के महत्व, उसकी समस्याओं और भारत में एक नई योजना संस्था की आवश्यकता पर चर्चा करेंगे।


योजना आयोग: एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

योजना आयोग की स्थापना 15 मार्च 1950 को भारत सरकार के एक प्रस्ताव के तहत की गई थी। इसका उद्देश्य था:

  • देश के संसाधनों का उचित उपयोग करना।
  • रोजगार के अवसर बढ़ाना और सभी नागरिकों को समान अवसर प्रदान करना।
  • राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और संसाधनों के आवंटन को निर्धारित करना।

योजना आयोग के पहले अध्यक्ष प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे। यह संस्था भारत सरकार के अधीन कार्य करती थी और इसके द्वारा बनाई गई योजनाओं को केंद्र और राज्यों को लागू करना होता था।


योजना आयोग की उपलब्धियाँ

योजना आयोग ने भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

1. बुनियादी ढांचे का विकास

  • बड़े स्तर पर रेलवे, बिजली उत्पादन, सिंचाई परियोजनाओं और उद्योगों की स्थापना की गई।
  • औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए लौह और इस्पात संयंत्र, मशीनरी निर्माण इकाइयाँ और ऊर्जा उत्पादन केंद्र स्थापित किए गए।

2. कृषि में आत्मनिर्भरता

  • हरित क्रांति (Green Revolution) को बढ़ावा दिया गया, जिससे भारत कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सका।
  • खाद्यान्न उत्पादन में तेजी आई और भुखमरी और खाद्यान्न संकट को नियंत्रित किया गया।

3. आर्थिक सुधार और उदारीकरण

  • 1991 के बाद, योजना आयोग ने आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (Liberalization, Privatization & Globalization – LPG) को बढ़ावा दिया।
  • सरकारी नियंत्रण कम करके निजी कंपनियों को निवेश के लिए प्रोत्साहित किया गया।

4. सामाजिक कल्याण योजनाएँ

  • गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम (Poverty Alleviation Programs) शुरू किए गए।
  • स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में योजनाएँ लागू की गईं।

योजना आयोग की समस्याएँ और विफलताएँ

हालांकि योजना आयोग ने भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन इसकी कई खामियाँ भी थीं:

1. अत्यधिक केंद्रीकरण

योजना आयोग पूरी तरह केंद्र सरकार के नियंत्रण में था, जिससे राज्यों की आवश्यकताओं को कम प्राथमिकता दी जाती थी। “One Size Fits All” की नीति अपनाई गई, जो भारत जैसे विविधतापूर्ण देश के लिए प्रभावी नहीं थी।

2. नीति निर्माण में लचीलापन नहीं था

  • योजना आयोग की नीतियाँ जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाती थीं
  • राज्य सरकारों को नीति निर्माण में पर्याप्त भागीदारी नहीं दी गई।

3. धीमी निर्णय प्रक्रिया और भ्रष्टाचार

  • योजनाओं के कार्यान्वयन में कई स्तरों की नौकरशाही जुड़ी होती थी, जिससे भ्रष्टाचार और देरी की समस्या बढ़ गई।
  • 2012 में, योजना आयोग की आलोचना इस बात पर हुई कि उसने सिर्फ दो शौचालयों पर 35 लाख रुपये खर्च कर दिए

4. आर्थिक असमानता और विकास में असंतुलन

  • योजना आयोग की नीतियाँ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में असमान विकास का कारण बनीं।
  • भारत के कई हिस्सों में आर्थिक असमानता बढ़ी और कई योजनाएँ सिर्फ कागजों पर ही सीमित रहीं

क्या भारत को एक नया योजना आयोग चाहिए?

भारत के बदलते आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य को देखते हुए, यह आवश्यक हो गया था कि नीति निर्माण की प्रणाली को आधुनिक बनाया जाए। आज भारत एक वैश्विक आर्थिक शक्ति बन रहा है, ऐसे में पुरानी योजनाओं के स्थान पर नई और लचीली योजनाओं की आवश्यकता है।

भारत में नई योजना प्रणाली की जरूरत क्यों है?

  1. संघवाद (Federalism) को बढ़ावा देना – राज्यों की स्वतंत्रता बढ़ाने और उनकी विशेष आवश्यकताओं पर ध्यान देने की जरूरत है।
  2. नई आर्थिक चुनौतियों का सामना करना – भारत की अर्थव्यवस्था अब वैश्विक स्तर पर विकसित हो चुकी है, जिसे नई योजनाओं की जरूरत है।
  3. तकनीकी और डिजिटलीकरण का समावेश – नई योजना संस्था को डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी पहलों को समर्थन देना चाहिए

नीति आयोग: क्या यह योजना आयोग का प्रभावी विकल्प है?

2014 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना आयोग को समाप्त कर उसकी जगह नीति आयोग (NITI Aayog) की स्थापना की। नीति आयोग की कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

1. नीतिगत परिवर्तन

  • यह केवल योजनाएँ बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि स्ट्रेटेजिक प्लानिंग और लॉन्ग-टर्म डेवलपमेंट पर फोकस करता है
  • केंद्र और राज्यों के बीच सहयोगी संघवाद (Cooperative Federalism) को बढ़ावा देता है।

2. नई नवाचार प्रणाली

  • नीति आयोग में Knowledge & Innovation Hub और Team India Hub जैसे विभाग बनाए गए हैं, जो शोध और नीतिगत सुधारों पर ध्यान देते हैं।

3. डिजिटल और तकनीकी सुधार

  • नीति आयोग डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं का समर्थन करता है।

4. विशेषज्ञों और थिंक टैंकों की भागीदारी

  • नीति आयोग देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों, वैज्ञानिकों और तकनीकी विशेषज्ञों को नीति निर्माण में शामिल करता है

निष्कर्ष

भारत में योजना आयोग की भूमिका ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रही है। हालांकि, समय के साथ इसकी नीतियाँ जमीनी हकीकत से अलग होती गईं, जिससे इसे बदलने की आवश्यकता पड़ी। नीति आयोग का गठन इस बदलाव का ही एक हिस्सा था, जो राज्यों की भागीदारी बढ़ाने और योजनाओं को आधुनिक बनाने पर ध्यान देता है।

हालांकि नीति आयोग भी अपने शुरुआती चरण में है और इसे पूर्ण रूप से सफल साबित होने में समय लगेगा, लेकिन यह भारत के आर्थिक विकास को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अगर भारत को 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करना है, तो उसे नई योजनाएँ, आधुनिक तकनीक और लचीली आर्थिक नीतियों को अपनाने की जरूरत होगी

क्या नीति आयोग भारत की सभी समस्याओं का हल निकाल सकता है? यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन निश्चित रूप से यह योजना आयोग की तुलना में अधिक प्रभावी साबित हो सकता है।

Twinkle Pandey

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