परिचय
स्वच्छ भारत मिशन (Clean India Mission) को 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉन्च किया गया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य 2019 तक पूरे भारत को खुले में शौच मुक्त (ODF) बनाना और देश में स्वच्छता को बढ़ावा देना था। इस अभियान के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में करोड़ों शौचालय बनाए गए। इसके अलावा, सफाई को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों, मीडिया, फिल्मी हस्तियों, खिलाड़ियों और राजनेताओं ने भी भाग लिया।
लेकिन इस महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने के दौरान कई खामियां सामने आईं। आलोचकों और विशेषज्ञों का मानना है कि स्वच्छ भारत मिशन पूरी तरह से सफल नहीं हो सका, क्योंकि इसने स्वच्छता से जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलुओं को नज़रअंदाज़ किया।
स्वच्छ भारत मिशन के असफल होने के कई कारण थे, जो नीचे विस्तार से बताए गए हैं।
सरकार ने इस अभियान के तहत लाखों शौचालयों का निर्माण करवाया, लेकिन उनका उचित उपयोग सुनिश्चित नहीं किया गया। कई ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय तो बनाए गए, लेकिन पानी की उचित सुविधा नहीं होने के कारण वे अनुपयोगी रह गए।
शौचालय निर्माण के बावजूद, लोगों की मानसिकता और आदतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया। खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां खुले में शौच करने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है, वहां जागरूकता की कमी के कारण लोग अभी भी खुले में शौच करना पसंद करते हैं।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालयों का निर्माण तो हुआ, लेकिन उनके रखरखाव और सफाई की ओर अधिक ध्यान नहीं दिया गया। इसके अलावा, देश में कचरा प्रबंधन की कोई ठोस योजना नहीं बनी, जिससे गंदगी की समस्या बनी रही।
भारत में सफाई कर्मियों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। सीवर सफाई करने वाले मजदूर आज भी बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के नालों और गटरों में उतरकर सफाई करते हैं, जिससे उनकी जान को गंभीर खतरा रहता है। सरकार ने इस मुद्दे को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे यह समस्या बनी रही।
भारत में कचरा प्रबंधन की स्थिति अत्यंत खराब है। कई जगहों पर कूड़े को वैज्ञानिक ढंग से निस्तारित करने के बजाय उसे खुले में डंप कर दिया जाता है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान को एक समान रूप से लागू नहीं किया गया। शहरों में सफाई व्यवस्था बेहतर थी, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी शौचालयों की भारी कमी है।
कई जगहों पर स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए शौचालयों का निर्माण घटिया गुणवत्ता के साथ किया गया, जिससे वे जल्दी ही खराब हो गए। इसके अलावा, सरकारी अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण इस अभियान की सफलता अधूरी रह गई।
स्वच्छता का सीधा संबंध स्वास्थ्य से है। यदि सही तरीके से स्वच्छता के नियमों का पालन किया जाए तो कई बीमारियों से बचा जा सकता है। स्वच्छता के कुछ मूलभूत सिद्धांत निम्नलिखित हैं:
स्वच्छ भारत मिशन की सफलता के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाए जाने चाहिए। स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों पर स्वच्छता शिक्षा को अनिवार्य किया जाना चाहिए।
शौचालय निर्माण के साथ-साथ उनमें पानी की उचित व्यवस्था भी की जानी चाहिए। इसके अलावा, शौचालयों के रखरखाव के लिए स्थानीय स्तर पर निगरानी समितियां बनाई जानी चाहिए।
सरकार को एक ठोस कचरा प्रबंधन नीति बनानी चाहिए, जिसमें कचरा निस्तारण, पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग) और खाद निर्माण जैसी तकनीकों को बढ़ावा दिया जाए।
मैन्युअल स्कैवेंजिंग को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए सफाई कार्यों में आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए। सीवर सफाई के लिए मशीनों का अधिक उपयोग किया जाना चाहिए, जिससे सफाई कर्मियों की मौतें रोकी जा सकें।
स्वच्छता नियमों के उल्लंघन पर कड़े दंड लगाए जाने चाहिए। सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी फैलाने वालों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
स्वच्छ भारत मिशन भारत में स्वच्छता सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, लेकिन इसे पूरी तरह से सफल नहीं कहा जा सकता। यह अभियान केवल शौचालय निर्माण तक सीमित रह गया, जबकि अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे जैसे कचरा प्रबंधन, सीवेज सिस्टम और मैन्युअल स्कैवेंजिंग की समस्या को नजरअंदाज कर दिया गया।
यदि भारत को वास्तव में स्वच्छ और स्वस्थ बनाना है, तो केवल शौचालय निर्माण से आगे बढ़कर स्वच्छता की व्यापक रणनीति अपनानी होगी। इसके लिए सरकार, समाज और नागरिकों को मिलकर प्रयास करने होंगे, ताकि स्वच्छ भारत मिशन का असली उद्देश्य पूरा हो सके और देश को स्वच्छ और सुंदर बनाया जा सके।
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