केंद्र और राज्य के बीच संसाधनों का आवंटन: एक विश्लेषण

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भारत की संघीय व्यवस्था में संसाधनों का आवंटन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह देश की आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए आवश्यक है। यह प्रक्रिया यह निर्धारित करती है कि कौन से संसाधन केंद्र सरकार के पास जाएंगे और कौन से राज्य सरकारों को आवंटित किए जाएंगे। भारत का संविधान इस आवंटन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान करता है, जो केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समुचित वित्तीय वितरण को सुनिश्चित करता है।

भारत की संघीय व्यवस्था और संसाधन आवंटन

भारत में संसाधनों का वितरण एक प्रकार की क्वासी-फेडरल व्यवस्था के तहत किया जाता है, जिसमें केंद्र और राज्य दोनों को अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में काम करने का अधिकार होता है। संसाधनों का यह वितरण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 268 से लेकर 281 तक के प्रावधानों के तहत किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से करों का आवंटन और वित्तीय सहायता का वितरण शामिल है।

करों का आवंटन

भारत में करों के आवंटन को लेकर एक स्पष्ट प्रणाली है, जिसमें कुछ कर केंद्र सरकार के अधिकार में होते हैं, कुछ राज्य सरकारों के अधिकार में होते हैं और कुछ कर दोनों के बीच समान रूप से वितरित किए जाते हैं।

केंद्र सरकार के लिए आवंटित कर

केंद्र सरकार को विभिन्न प्रकार के करों से राजस्व प्राप्त होता है। इनमें प्रमुख हैं:

  1. कस्टम ड्यूटी और निर्यात कर – केंद्र सरकार इन करों को वसूल करती है और इसका उपयोग राष्ट्रीय हित में करती है।
  2. वस्त्र, तंबाकू, और अन्य उत्पादों पर उत्पाद शुल्क – यह कर भी केंद्र सरकार को प्राप्त होता है।
  3. संपत्ति कर और उत्तराधिकार कर – गैर-कृषि संपत्ति और भूमि से संबंधित करों का आवंटन केंद्र सरकार को होता है।
  4. आयकर और व्यापार कर – केंद्र सरकार के द्वारा निर्धारित आयकर और व्यापार कर भी केंद्रीय खजाने में जाते हैं।

राज्य सरकार के लिए आवंटित कर

राज्य सरकारों को भी कुछ विशेष प्रकार के करों से राजस्व मिलता है। इनमें शामिल हैं:

  1. भूमि आय, स्टांप शुल्क और संपत्ति कर – इन करों से प्राप्त धन राज्य सरकारों के पास जाता है।
  2. कृषि भूमि पर आयकर – कृषि भूमि से संबंधित आय पर कर राज्य सरकार द्वारा वसूल किया जाता है।
  3. यात्री कर और आयात शुल्क – जल और भूमि से संबंधित आयात शुल्क राज्य सरकार के पास जाता है।
  4. विज्ञापन शुल्क, सड़क पर वाहनों पर कर – ये राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।

समान वितरण (Equitable Distribution)

इसके अलावा, कुछ कर ऐसे होते हैं जिन्हें राज्य सरकारें वसूल करती हैं, लेकिन उन्हें बाद में केंद्र सरकार को वितरित किया जाता है, और कुछ करों को केंद्र सरकार वसूल करती है, जिन्हें राज्य सरकारों के बीच वितरित किया जाता है।

राज्य सरकार द्वारा एकत्र किए गए कर, जो केंद्र को वितरित किए जाते हैं

  • स्टांप ड्यूटी – वाणिज्यिक बिल, चेक, मनी ऑर्डर, बीमा योजनाओं, और स्टॉक ट्रांसफर पर लगाए गए करों का हिस्सा केंद्र सरकार को जाता है।
  • मदिरा, अफीम, और नशीले पदार्थों पर उत्पाद शुल्क – ये कर राज्य सरकार द्वारा वसूल किए जाते हैं, लेकिन केंद्र को वितरित किए जाते हैं।

केंद्र सरकार द्वारा एकत्र किए गए कर, जो राज्य सरकारों को वितरित किए जाते हैं

  • रियल एस्टेट पर संपत्ति कर और राज्य शुल्क – केंद्र सरकार द्वारा वसूल किए गए इन करों को बाद में संबंधित राज्यों को वितरित किया जाता है।
  • रेलवे मालभाड़ा और किराया – ये भी केंद्र सरकार द्वारा वसूल किए जाते हैं, लेकिन राज्य सरकारों को वितरित किए जाते हैं।
  • आंतर्राज्यीय व्यापार पर कर – केंद्र सरकार द्वारा इन करों का संग्रह किया जाता है, लेकिन यह राज्यों के बीच वितरित किया जाता है।

संसाधनों का वितरण और वित्तीय सहायता

केंद्र सरकार कुछ राज्यों को वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है, खासकर उन राज्यों को जिनकी वित्तीय स्थिति कमजोर है। इस सहायता का उद्देश्य राज्य सरकारों को उनके विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराना है।

इसके अलावा, केंद्र सरकार ने एफआरबीएम (FRBM) अधिनियम में संशोधन किया है, जिसके तहत वित्तीय संसाधनों के वितरण में शोक या संकट की स्थिति को देखते हुए लचीलापन प्रदान किया गया है। यह सुनिश्चित करता है कि राज्यों को वित्तीय संकट के समय राहत मिल सके।

निष्कर्ष

भारत में केंद्र और राज्य के बीच संसाधनों का आवंटन एक जटिल लेकिन सुव्यवस्थित प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि केंद्र और राज्य दोनों अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में काम करते हुए देश के विकास में सहयोग करें। करों का आवंटन, समान वितरण, और वित्तीय सहायता प्रणाली का उद्देश्य सभी राज्यों को समान अवसर देना है ताकि वे अपने-अपने क्षेत्रों में समृद्धि ला सकें। इस तरह से संसाधनों का संतुलित वितरण न केवल विकास की गति को बढ़ाता है बल्कि समग्र राष्ट्रीय एकता को भी बनाए रखता है।

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