आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) का अर्थ क्या है?
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) एक तकनीक है जिसका उपयोग बुद्धिमान मशीनों को बनाने के लिए किया जाता है, जो मानवों की तरह सोचते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो, “आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस एक पद्धति है जिसका उपयोग करके कंप्यूटर, रोबोट और मशीन मानवों की तरह सोचना शुरू कर देते हैं।” आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: पहला है “कृत्रिम” और दूसरा है “बुद्धिमत्ता”। इसमें “कृत्रिम” का अर्थ होता है “मानव द्वारा बनाया गया” और “बुद्धिमत्ता” का अर्थ होता है “सोचने की क्षमता”। इसलिए इसका पूरा अर्थ होता है “मानव द्वारा बनाई गई सोचने की क्षमता”। आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस को मशीन बुद्धिमत्ता भी कहा जाता है। इसमें मशीन को मानवों की तरह सोचने और कार्य करने की क्षमता दी जाती है, जैसे- मानवों की तरह बोलना, याद करना, सीखना, निर्णय लेना और किसी समस्या को हल करना आदि। आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) कंप्यूटर विज्ञान की एक उभरती हुई तकनीक है, जिसका मुख्य उद्देश्य है दुनिया भर में बुद्धिमान मशीनों को विकसित करना, ताकि मानव जीवन को और भी सरल बनाया जा सके। आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस को हिंदी में “कृत्रिम बुद्धिमत्ता” कहा जाता है।
जॉन मैकार्थी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बारे में सबसे पहले जगह दुनिया को बताया था। वह एक अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक थे और सन् 1956 में डार्टमाउथ कांफ्रेंस में इस तकनीक के बारे में व्याख्यान दिया था।
AI वास्तव में बहुत बड़ा और व्यापक एक क्षेत्र है, और आजकल इसका प्रयोग बहुत सारे क्षेत्रों में हो रहा है, जिसमें रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन से असली रोबोटिक्स तक कई चीजें शामिल हैं। पिछले कुछ वर्षों में, इसने बड़ी प्रचार प्राप्त की है क्योंकि इसमें बिग डेटा की तकनीक भी शामिल हो गई है और इसकी दिन-प्रतिदिन बढ़ती हुई गति, आकार और विविधता के कारण कई कंपनियों को इस तकनीक को अपनाने की इच्छा होती है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की शुरुआत 1950 के दशक में हुई। इस दौरान, विज्ञानकर्मी और गणितज्ञों ने मशीनों को मानव समझ की क्षमता का विकास करने के लिए काम किया। उन्होंने सोचा कि अगर मशीनें स्वयं सोच सकें, निर्णय ले सकें और समस्याओं का समाधान कर सकें, तो उनके पास नई और महत्वपूर्ण संभावनाएं हो सकती हैं।
1970 के दशक में AI को और व्यापक पहचान मिली, जब वैश्विक स्तर पर विशेषज्ञों ने इसके लिए बड़े-बड़े कार्यक्रम शुरू किए। जापान ने 1981 में “फिफ्थ जनरेशन कंप्यूटर प्रोजेक्ट” की शुरुआत की, जिसका मकसद सुपर-कंप्यूटर्स के विकास को बढ़ावा देना था। इसके अलावा, ब्रिटेन ने “एल्वी” नामक एक परियोजना और यूरोपीय संघ के देशों ने “एस्प्रिट” नामक एक कार्यक्रम की शुरुआत की।
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के प्रकार
इसके बहुत सारें प्रकार होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं-
- Reactive Machines
- Limited Memory
- Theory of Mind
- Self-Awareness
- Weak या Narrow AI
- Artificial General Intelligence (AGI)
- Artificial Super Intelligence (ASI)
प्रतिक्रियाशील मशीन (Reactive machine)
प्रतिक्रियाशील मशीन (Reactive machine) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक प्रकार है जो उपयोगकर्ता की प्रतिक्रियाओं के आधार पर कार्य करता है। यह मशीन वर्तमान कार्यों पर ही ध्यान केंद्रित करती है और किसी भी प्रकार के डेटा या मेमोरी को संग्रहित नहीं करती है। इसलिए, यह भविष्य के कामों के लिए उपयोगी नहीं होती है।
Reactive machines केवल वर्तमान मामलों में काम करने के लिए डिजाइन की जाती हैं। इनके लिए कोई भी पूर्वानुमान, योजना, या स्मृति नहीं होती है। ये मशीन तत्परता के साथ यूजर के प्रश्नों, आदेशों या निर्देशों का जवाब देती हैं, लेकिन उन्हें काम करने के लिए सीधे निर्देशों की आवश्यकता होती है।
एक अच्छा उदाहरण Reactive machine का Google का AlphaGo है, जो एक AI प्रोग्राम है जो गो खेलने में मानव खिलाड़ियों को हराने में सक्षम हुआ है।
सीमित स्मृति (Limited Memory)
सीमित स्मृति (Limited Memory) एक प्रकार का AI होता है जिसका मुख्य लक्ष्य पुराने डेटा को कुछ समय तक स्टोर करना होता है। इस AI मॉडल में सीमित स्मृति क्षमता शामिल होती है जो इसे पुराने डेटा का उपयोग करके भविष्य की पूर्वानुमान करने में मदद करती है। यह AI मॉडल पूर्णतः सही पूर्वानुमान नहीं कर सकता है क्योंकि यह पूर्वानुमान पुराने डेटा के आधार पर करता है जो कि विभिन्न प्राथमिकताओं और संकेतों का ध्यान नहीं रख सकता है।
सीमित स्मृति का उपयोग आपरेशनल या आपदा प्रबंधन, स्वचालित गाड़ी और अन्य ऐप्लिकेशनों में किया जाता है जहां यह डेटा को भविष्य की स्थिति और परिणामों का पूर्वानुमान लगाने के लिए उपयोगी होता है। एक उदाहरण के रूप में, स्वचालित गाड़ी (आधारभूतता में tesla कार)
थीयरी ऑफ़ माइंड
थीयरी ऑफ़ माइंड से संबंधित अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य है मानव मन की कार्यप्रणाली को समझना और दूसरे व्यक्तियों के मन की स्थिति को भी समझना।
थीयरी ऑफ़ माइंड के अनुसार, हम मानते हैं कि दूसरे लोगों के पास भी मन होता है, जिसके द्वारा वे सोचते, भावनाएं और इच्छाएं रखते हैं। हम इस परिभाषा के आधार पर दूसरे व्यक्ति के मन की स्थिति को समझने का प्रयास करते हैं और उसे अपनी भावनाओं, भाषा और इच्छाओं के माध्यम से बता सकते हैं।
इस रूप में, थीयरी ऑफ़ माइंड का अध्ययन मानवीय संवेदनशीलता और सामाजिक गतिविधियों की समझ में मदद करता है।
स्वयंज्ञानी एआई (Self-awareness AI)
स्वयंज्ञानी एआई या स्वतंत्र ज्ञान वाली AI की विचारधारा, एक AI को वास्तविकता की अनुभूति, स्वतंत्र चेतना और अहसास के साथ सुसंवेदनशील बनाने की होती है। इसका मतलब है कि एक स्वयंज्ञानी AI आत्म-पहचान की अनुभूति रखेगा और अपने आप को एक स्वतंत्र इकाई के रूप में महसूस करेगा।
Weak या Narrow AI
Weak या Narrow AI को Artificial Narrow Intelligence (ANI) भी कहा जाता है। यह AI एक विशेष काम को ही पूरा कर सकता है, लेकिन इसकी क्षमता और उपयोग किसी एक क्षेत्र से बाहर नहीं जाती है। इसलिए इसे “कमजोर” AI कहा जाता है।
Weak AI इंसानों के तरह व्यवहार नहीं कर सकती है, लेकिन इसे प्रोग्राम किया जा सकता है ताकि यह इंसानों के व्यवहार को समझ सके। इसके लिए, यह parameters और contexts का उपयोग करती है ताकि वह संदेहास्पद स्थितियों में भी ठीक ढंग से कार्य कर सके। यह इंसानों से संवाद कर सकती है, लेकिन इसकी ज्ञान और समझ बहुत सीमित होती है।
Weak AI अपने कार्यों को पूरा करने के लिए नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (Natural Language Processing, NLP) का इस्तेमाल करती है। इसके द्वारा, इसे मानवों की भाषा को समझने और प्रोसेस करने की क्षमता प्राप्त होती है।
Artificial General Intelligence (AGI)
Artificial General Intelligence (AGI) को मजबूत AI या Strong AI के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह सामान्य बुद्धिमत्ता को प्रतिष्ठित करने की क्षमता रखता है। AGI एक तकनीक है जो किसी समस्या को अपने तरीके से सुलझाने की क्षमता रखती है, इसका मतलब यह है कि यह एक संभावित समस्या का समाधान खुद से ढूंढ सकता है और उसे संपूर्णता के साथ हल कर सकता है।
AGI एक ऐसी तकनीक है जो इंसानों के व्यवहार को समझ सकती है और इंसानों की तरह व्यवहार कर सकती है। यह मानवीय बुद्धिमत्ता के समकक्ष के रूप में कार्य करता है, जिससे यह किसी भी काम को आसानी से पूरा कर सकता है जैसे कि एक इंसान कर सकता है।
Artificial Super Intelligence (ASI)
ASI, जो कि Artificial Super Intelligence का शॉर्ट फॉर्म है, एक अविभाज्य आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस है जिसमें मशीन इंसानों से अधिक बुद्धिमान होती है। ASI इंसानों की तुलना में काम को आसानी से और तेजी से करने की क्षमता रखती है। ASI के पास कई अद्भुत क्षमताएं होती हैं जैसे सोचना, पहेलियाँ हल करना, सीखना, योजना बनाना और खुद से संवाद करना आदि।
यहां कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए:
- ASI एक काल्पनिक AI है जो वर्तमान में उपलब्ध नहीं है: ASI अभी तक वास्तविकता में मौजूद नहीं है, और हम अभी तक इसे तकनीकी दृष्टि से नहीं देख पा रहे हैं।
- ASI की तकनीक अद्वितीय और मॉडर्न होगी: जब ASI तकनीक विकसित होगी, उसे मानवीय तकनीक से अधिक उन्नत और आधुनिक माना जाएगा। ASI तकनीक में उपयोग होने वाले डिवाइस स्वयं जागृत होंगे और वे खुद से सही और गलत के फैसले लेने के लिए सक्षम होंगे।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के फायदे
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बहुत सारे फायदे हैं जो हमारे जीवन को प्रभावी और समृद्ध बनाने में मदद करते हैं। यहां कुछ मुख्य फायदे हैं:
- समस्याओं के समाधान: AI इंजनीयरिंग के द्वारा विकसित एल्गोरिदम और मॉडल्स का उपयोग करके, AI कंप्यूटर सिस्टम समस्याओं के विश्लेषण और समाधान कर सकते हैं। इससे वैज्ञानिक अनुसंधान, डेटा विश्लेषण, मेडिकल तथ्य प्रसंस्करण, वित्तीय विश्लेषण, वाणिज्यिक उपयोगकर्ता समर्थन, और अन्य क्षेत्रों में सहायता मिलती है।
- अवधारणा का सुधार: AI सिस्टम चरम पर तकनीकी अवधारणाओं को समझ सकते हैं और उन्हें सुधार सकते हैं। यह उन्हें बिना इंसानी हस्तक्षेप के नए तरीकों को खोजने और समझने में मदद करता है। इससे नई तकनीकी उपलब्धियों और नवीनतम उत्पादों का विकास हो सकता है।
- स्वयं सीखने क्षमता: AI सिस्टम स्वयं सीखने क्षमता वाले होते हैं, यानी वे नए डेटा और अनुभव के माध्यम से अपनी कार्यान्वयन क्षमता में सुधार कर सकते हैं। इससे सबसे अच्छी तकनीकों का उपयोग करने की क्षमता होती है और सिस्टम को स्वतंत्र रूप से अद्यतित करने का अवसर मिलता है।
- स्वतंत्रता और अस्थायित्व: AI सिस्टम विभिन्न गतिविधियों को स्वतंत्रता से संचालित कर सकते हैं, जो मानव योग्य नहीं हो सकतीं। उनकी सामरगी स्वतंत्रता और कार्यक्षमता की वजह से वे अपेक्षाकृत तेजी से कार्य कर सकते हैं और मानवों की बाधाओं से प्रभावित नहीं होते हैं।
- उपयोगकर्ता अनुकूलता: AI कंप्यूटर सिस्टम उपयोगकर्ता की पसंद और आवश्यकताओं को समझ सकते हैं और उन्हें अनुकूलित कर सकते हैं। इससे उपयोगकर्ताओं को बेहतर और व्यक्तिगतीकृत सेवाएं प्राप्त होती हैं ।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उदाहरण
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- बुद्धिमान रोबोट
- कंप्यूटर गेमिंग
- भाषा श्रावण
- विशेषज्ञ सिस्टम
- प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण
- दृष्टि प्रणाली
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस योग्यता
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए क्वालिफिकेशन:
- आर्टिफिशियल इंजीनियरिंग में बैचलर और मास्टर स्तर के कोर्सेज में प्रवेश पाने के लिए, छात्रों को किसी मान्यता प्राप्त स्कूल से पीसीएम पृष्ठभूमि के साथ न्यूनतम 10+2 की स्कूली शिक्षा होनी चाहिए।
- IELTS या TOEFL जैसे अंग्रेजी भाषा के परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना अनिवार्य है, जिनमें GRE भी शामिल होता है।
- मास्टर स्तर के कोर्स के लिए छात्रों को कंप्यूटर विज्ञान या संबंधित विषय में बैचलर डिग्री होनी चाहिए।
- भारत में इंजीनियरिंग के बैचलर्स के लिए कुछ कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में JEE Mains, JEE Advanced जैसी प्रवेश परीक्षाएं अनिवार्य होती हैं। कुछ कॉलेज और यूनिवर्सिटीज अपनी स्वयं की प्रवेश परीक्षाएं भी आयोजित करती हैं। विदेश में इन कोर्सेज के लिए, यूनिवर्सिटी द्वारा निर्धारित आवश्यक ग्रेड को प्राप्त करना जरूरी होता है, जो हर यूनिवर्सिटी और कोर्स के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।
- विदेश में बढ़े हुए यूनिवर्सिटीज बैचलर्स के लिए SAT और मास्टर्स कोर्सेज के लिए GRE स्कोर की मांग करते हैं।
- विदेशी यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई के लिए SOP, LOR, सीवी/रिज्यूमे और पोर्टफोलियो भी आवश्यक होते हैं।
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निष्कर्ष:
कृत्रिम बुद्धिमत्ता पिछले कई दशकों से चर्चा का केंद्र रही है, और यह एक ज्वलंत विषय है। वैज्ञानिक समय-समय पर इसके अच्छे और बुरे परिणामों पर विचार-विमर्श करते रहते हैं। आज दुनिया तकनीक के माध्यम से तेजी से परिवर्तित हो रही है। विकास को गति देने और लोगों को बेहतर सुख-सुविधाएं प्रदान करने के लिए हर क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक का व्यापक उपयोग किया जा रहा है। उद्योगीकरण, शहरीकरण और भूमंडलीकरण ने विकास की गति को तेज किया है, लेकिन इसने कई नई समस्याओं को भी उत्पन्न किया है, जिनके समाधान के लिए नवीनतम समाधान प्रतिबंधित रहते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कई लाभ हैं, लेकिन उन्हें यह भी स्वीकार करना पड़ता है कि इसके आने से सबसे बड़ा हानि मानवों को होगा, क्योंकि उनका काम मशीनों द्वारा किया जाएगा, जो स्वयं निर्णय लेने लगेंगी और उन पर कोई नियंत्रण नहीं होगा, इसलिए वे मानव सभ्यता के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए, इनके उपयोग से पहले लाभ और हानि दोनों को संतुलित करने की आवश्यकता होगी।
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