मिजोरम के प्रमुख नृत्य रूप: एक सांस्कृतिक धरोहर

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मिजोरम की संस्कृति और परंपराएँ वहाँ के लोक नृत्य रूपों में झलकती हैं। यह नृत्य रूप केवल मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि सामाजिक एकता और परंपराओं को बनाए रखने का महत्वपूर्ण माध्यम भी हैं। मिजोरम के लोक नृत्य विभिन्न त्योहारों, विशेष अवसरों और धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान किए जाते हैं। इन नृत्यों में प्रत्येक का अपना अनूठा अंदाज और महत्व होता है।

इस लेख में हम मिजोरम के प्रमुख लोक नृत्यों की विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे और यह जानेंगे कि कैसे ये नृत्य मिजोरम की सांस्कृतिक पहचान को संजोए हुए हैं।


मिजोरम के लोक नृत्य: एक परिचय

नृत्य किसी भी समाज की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिबिंब होते हैं। मिजोरम में नृत्य की परंपरा बहुत समृद्ध और प्राचीन है। यहाँ के नृत्य सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं हैं, बल्कि सामाजिक जीवन का अभिन्न अंग हैं। मिजो समुदाय में लोक नृत्य को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने की परंपरा है, ताकि उनकी संस्कृति और पहचान बनी रहे।

मिजोरम में कई तरह के लोक नृत्य प्रचलित हैं, जिनमें चेराव, खुल्लम, चैलम, च्हीह लाम, चवंगलैज़ॉन, त्लांगलाम और ज़ांगतलाम प्रमुख हैं। प्रत्येक नृत्य का एक विशिष्ट उद्देश्य और महत्व होता है। कुछ नृत्य पुरुष और महिलाएँ एक साथ करते हैं, जबकि कुछ विशेष परिस्थितियों में किए जाते हैं।


मिजोरम के प्रमुख लोक नृत्य रूप

1. चेराव नृत्य (Cheraw Dance) – बाँस नृत्य

परिचय:
चेराव नृत्य, जिसे बाँस नृत्य भी कहा जाता है, मिजोरम का सबसे प्रसिद्ध और पुराना नृत्य रूप है। यह नृत्य मिजो संस्कृति की पहचान बन चुका है। इस नृत्य में 6 से 8 पुरुष बांस की छड़ियों को ज़मीन पर रखकर उन्हें लयबद्ध रूप से खोलते और बंद करते हैं। महिलाएँ इन छड़ों के बीच में संगीत की धुन के साथ तालबद्ध रूप से कूदती और नृत्य करती हैं

विशेषताएँ:
🔹 बाँस की छड़ियों को ज़मीन पर लयबद्ध रूप से हिलाया जाता है।
🔹 महिलाएँ पारंपरिक वेशभूषा पहनकर नृत्य करती हैं।
🔹 इसे समूह में किया जाता है।
🔹 यह नृत्य विशेष रूप से त्योहारों और उत्सवों के दौरान किया जाता है।

पारंपरिक वेशभूषा:
चेराव नृत्य में महिलाएँ वाकिरिया (Vakiria), कौर्चेई (Kawrchei), पूनचेई (Puanchei), खुम्बु (Khumbu) और मिजो शॉल (Mizo Shawl) पहनती हैं।


2. खुल्लम नृत्य (Khuallam Dance) – अतिथि नृत्य

परिचय:
खुल्लम नृत्य समुदाय का नृत्य है, जिसे विशेष रूप से खुंगचावी (Khuangchawi) उत्सव में किया जाता है। इस नृत्य में आसपास के गाँवों से अतिथियों को आमंत्रित किया जाता है। खुल्लम शब्द का अर्थ है ‘अतिथि नृत्य’, जिसमें ‘खुल’ का अर्थ ‘अतिथि’ और ‘लाम’ का अर्थ ‘नृत्य’ होता है।

विशेषताएँ:
🔹 यह एक सामूहिक नृत्य है।
🔹 इस नृत्य में कोई गीत नहीं गाया जाता, केवल ‘डार्बी’ (Darby) नामक वाद्ययंत्र बजाया जाता है।
🔹 इसे रंग-बिरंगे पारंपरिक वस्त्रों में किया जाता है।

पारंपरिक वेशभूषा:
खुल्लम नृत्य के दौरान पुरुष ‘पुआंदुम’ (Puandum) पहनते हैं, जो हाथ से बुनी हुई पारंपरिक मिजो शॉल होती है।


3. चैलम नृत्य (Chailam Dance) – पारंपरिक उत्सव नृत्य

परिचय:
चैलम नृत्य को ‘चपचार कुट’ (Chapchar Kut) उत्सव के दौरान किया जाता है। यह नृत्य पुरुषों और महिलाओं द्वारा मिलकर किया जाता है।

विशेषताएँ:
🔹 यह नृत्य एक गोलाकार समूह में किया जाता है
🔹 इसमें पुरुष और महिलाएँ एक-दूसरे की कमर और कंधे पकड़कर नृत्य करते हैं।
🔹 नृत्य के बीच में ढोल और मिथुन के सींग से ध्वनि उत्पन्न की जाती है।
🔹 यह नृत्य चार प्रकारों में विभाजित है: चैलम I, चैलम II, चैलम III, चैलम IV

पारंपरिक वेशभूषा:
इस नृत्य में महिलाएँ चमकीले रंगों के परिधान और आभूषण पहनती हैं।


4. च्हीह लाम नृत्य (Chhieh Lam Dance) – अमीर वर्ग का नृत्य

परिचय:
च्हीह लाम नृत्य मिजोरम के उच्च वर्गीय समुदाय की समृद्धि को दर्शाता है। यह नृत्य समाज में खुशी और समृद्धि के प्रतीक के रूप में किया जाता है।

विशेषताएँ:
🔹 यह नृत्य बैठकर किया जाता है
🔹 बीच में एक नर्तक गाता है और अन्य लोग उसके साथ बैठकर गाने को दोहराते हैं।
🔹 गाने को ‘च्हीह ह्ला’ (Chhieh Hla) कहा जाता है, जिसमें केवल तीन पंक्तियाँ होती हैं।

पारंपरिक वेशभूषा:
नर्तक चमकीले वस्त्र और पारंपरिक आभूषण पहनते हैं।


5. चवंगलैज़ॉन नृत्य (Chawnglaizawn Dance) – शोक और विजय का नृत्य

परिचय:
यह नृत्य ‘पावी जनजाति’ द्वारा किया जाता है और इसे दो परिस्थितियों में किया जाता है:

  1. जब कोई पति अपनी पत्नी की मृत्यु पर शोक प्रकट करता है।
  2. जब कोई शिकारी सफलतापूर्वक शिकार करके लौटता है।

विशेषताएँ:
🔹 यह दुख और खुशी दोनों को दर्शाने वाला नृत्य है।
🔹 इसे ढोल की धुन पर किया जाता है।


6. त्लांगलाम नृत्य (Tlanglam Dance) – सामुदायिक नृत्य

परिचय:
त्लांगलाम नृत्य पुरुषों और महिलाओं द्वारा एक साथ किया जाता है। इसे ‘पुमा’ (Puma) संगीत के साथ किया जाता है।

विशेषताएँ:
🔹 यह नृत्य रंगीन वस्त्रों और पारंपरिक हेडगियर के साथ किया जाता है।
🔹 इसे किसी भी खुशी के मौके पर किया जाता है।


7. ज़ांगतलाम नृत्य (Zangtalam Dance) – पाईते जनजाति का नृत्य

परिचय:
ज़ांगतलाम नृत्य पाईते जनजाति द्वारा किया जाता है और यह एक उत्सव नृत्य है।

विशेषताएँ:
🔹 इसमें पुरुष और महिलाएँ एक पंक्ति में खड़े होकर ढोल की ताल पर नृत्य करते हैं
🔹 यह गायन और नृत्य का मिश्रण है।


निष्कर्ष

मिजोरम के लोक नृत्य उसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। ये नृत्य सामाजिक एकता, प्रेम, उत्सव और परंपराओं का प्रतीक हैं। चेराव नृत्य सबसे प्रसिद्ध है, जबकि अन्य नृत्य भी अपनी विशिष्टता के लिए जाने जाते हैं। मिजोरम के लोग अपनी संस्कृति को संरक्षित करने के लिए इन नृत्यों को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने का कार्य कर रहे हैं। 💃🎶

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